तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै । व्याख्या – गुरुदेव जैसे शिष्य की धृष्टता आदि का ध्यान नहीं रखते और उसके कल्याण में ही लगे रहते हैं [ जैसे काकभुशुण्डि के गुरु], उसी प्रकार आप भी मेरे ऊपर गुरुदेव की ही भाँति कृपा करें ‘प्रभु https://subhashe063jjk0.blogpayz.com/profile